What is Ayodhya Dispute अयोध्या विवाद क्या हैl
नमस्कार दोस्तों आज मैं आप सभी के साथ अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले आया है, इसी के बारे में चर्चा करने वाले हैंl यह एग्जाम के दृष्टी कोण से बहुत ही महत्वपूर्ण हैl

अयोध्या विवाद क्या हैl
What is Ayodhya Dispute
अयोध्या मंदिर विवाद एक धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक विवाद था इसका मूल विवाद राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद को लेकर था हिन्दू पक्ष का कहना था भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है जबकि मुस्लिम पक्षकारों का कहना था कि यहाँ पर मंदिर था ही नहीं बल्कि मस्जिद था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
लगातार 40 दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 09 नवंबर 2019 को ए.एस.ई (ASI) रिपोर्ट के आधार पर अयोध्या विवाद का फैसले सुनाया हैl इसमें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया हैl
अयोध्या विवाद पर ASI का रिपोर्ट
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर विवादित अयोध्या स्थल का दो बार खुदाई की गई, पहली बार साल 1976-77 में और फिर साल 2003 में करवाई गईl जिसमे भग्नावशेषों मिला जो की मंदिर के दावे को ओर भी पुख्ता करता हैl
अयोध्या विवाद का इतिहास
माना जाता है कि 1528 ई0 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर को तोड़कर वहाँ पर मस्जिद बनाया। 1856 ई0 में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया। उस समय अंग्रेजों ने विवाद को खत्म करने के लिए 1859 ई0 में मुसलमानों को नमाज पढ़ने के लिए अन्दर का हिस्सा और हिन्दुओं को पूजा के लिए बाहर का हिस्सा उपयोग करने को कहा।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 23 दिसम्बर 1949 को भागवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पायी गयी हिन्दुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं जबकि मुसलमानों ने आरोप लगया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दी है। हिन्दूओं और मुस्लमानों के बीच यह तनाव और बढ़ गया इस तनाव को देखते हुए सरकार ने तत्काल गेट को बंद कर दियाl
इस विवादित स्थल को हिन्दुओं की पुजा के लिए 1986 ई0 में वहाँ के जिला न्यायधीश ने खोलने का आदेश दिया। मुस्लिम समुदाय इसका विरोध करने लगे इसके लिए उन्होंने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया। 1989 में विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित भूमि से सटी जमीन पर राम मंदिर बनाने का मुहिम शुरू कर दिया। 1992 ई0 को हिन्दुओ के द्वारा बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया इसका विरोध पुरे भारत के जितने भी मुस्लिम समुदाय थे उन्होंने करने लगा इसके कारण देश में कई जगह हिन्दुओं और मुस्लिमानों के बीच दंगे हुए जिसमें करीब दो हजार लोग मारे गयाl
इस मामले को सुलझाने के लिए उसके 10 दिन बाद 16 दिसम्बर 1992 को लिब्रहान आयोग का कठन किया गया इसका अध्यक्ष एम. एस. लिब्रहान को बनाया गया जो कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश थे। लिब्रहान आयोग को तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया। लेकिन आयोग ने रिपोर्ट देने में 17 वर्ष लगा दिये लिब्रहान आयोग ने 30 जून 2009 को 700 पन्नों की रिपोर्ट चार भागों में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सौंपा। लिब्रहान आयोग का कार्यकाल 48 बार बढ़ाया गया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय
2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अपने निर्णय में विवादित भूमि को रामजन्मभूमि घोषित किया। न्यायालय ने बहुमत से निर्णय लिया कि विवादित भूमि जिसे रामजन्मभूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू समुदाय को दे दिया जाय न्यायालय ने यह भी कहा कि वहाँ से रामलला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा।
इस फैसले में उन्होंने कहा कि सीता रसोई और राम चबूतर के कुछ भागों पर निर्मोही अखाड़े का भी कब्ज़ा रहा है इसलिए यह हिस्सा निर्माही अखाड़ों को दे दिया जायेगा। इसके अलावा खंड पीठ के दो न्यायाधिशों का यह निर्णय था कि इस भूमि के कुछ भागों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दे दिया जाए। लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को मानने से इनकार कर दिया और सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दायर किया सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय लिया कि पीठ इस विवाद की सुनवाई प्रतिदिन करेगी। सुनवाई से ठीक पहले शिया वक्फ बोर्ड ने न्यायालय में याचिका लगाकर विवाद में पक्षकार होने का दावा किया और 30 मार्च 1946 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति घोषित कर दिया गया थाl
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