वैष्णव धर्म (Vaishnav Dharm) सामान्य ज्ञान सभी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैl UPSC, PCS, SSC, Railway And All Competition Exam
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वैष्णव धर्म Vaishnav Dharm
1. वैष्णव सम्प्रदाय’ हिन्दू धर्म में मान्य मुख्य सम्प्रदाय है। इस धर्म के लोग भगवान विष्णु को अपना आराध्य देव मानते और पूजते हैं। वैष्णव धर्म के बारे में सामान्य जानकारी उपनिषदों से मिलती है। इसका विकास भगवत धर्म से हुआ है।
2. वैष्णव धर्म या ‘वैष्णव सम्प्रदाय’ का प्राचीन नाम ‘भागवत धर्म’ या ‘पांचरात्र मत’ है। वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे, जो की वृषण कबीले के थे और इनका निवास स्थान मथुरा था।
3. कृष्ण भगवान छ: गुणों 1. ज्ञान 2. शक्ति 3. बल 4. वीर्य 5. ऐश्वर्य 6. तेज से सम्पन्न होने के कारण भगवान या ‘भगवत’ कहा गया है।
4. भगवत के उपासक ‘भागवत’ कहलाते हैं। इस सम्प्रदाय की पांचरात्र संज्ञा के सम्बन्ध में अनेक मत व्यक्त किये गये हैं।
5. कृष्ण भगवान का सबसे पहले उल्लेख छांदोग्य उपनिषद में देवकी के पुत्र और अंगिरस के शिष्य के रूप में मिलता है।
6. कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं।
7. नारद पांचरात्र’ के अनुसार इसमें ब्रह्म, मुक्ति, भोग, योग और संसार–पाँच विषयों का ‘रात्र’ अर्थात ज्ञान होने के कारण यह पांचरात्र है। ‘ईश्वरसंहिता’, ‘पाद्मतन्त’, ‘विष्णुसंहिता’ और ‘परमसंहिता’
8. ‘शतपथ ब्राह्मण’ के अनुसार सूत्र की पाँच रातों में इस धर्म की व्याख्या की गयी थी, इस कारण इसका नाम पांचरात्र पड़ा। इस धर्म के ‘नारायणीय’, ऐकान्तिक’ और ‘सात्वत’ नाम भी प्रचलित रहे हैं।
9. अनुमान है कि लगभग 600 ई.पू. जब ब्राह्मण ग्रन्थों के हिंसाप्रधान यज्ञों की प्रतिक्रिया में बौद्ध-जैन सुधार आन्दोलन हो रहे थे, उससे भी पहले उपासना प्रधान वैष्णव धर्म विकसित हो रहा था, जो प्रारम्भ से वृष्णि वंशीय क्षत्रियों की सात्वत नामक जाति में सीमित था।
10. भागवत धर्म भी प्रारम्भ में क्षत्रियों द्वारा चलाया हुआ अब्राह्मण उपासना-मार्ग था, परन्तु कालान्तर में सम्भवत: अवैदिक और नास्तिक जैन-बौद्ध मतों का प्राबल्य देखकर ब्राह्मणों ने उसे अपना लिया और ‘वैष्णव’ या ‘नारायणीय धर्म’ के रूप में उसका विधिवत संघटन किया।
11. छान्दोग्य उपनिषद- तेरहवें खण्ड से उन्नीसवें खण्ड तक ‘छान्दोग्य उपनिषद’ के देवकी पुत्र कृष्ण घोर आंगिरस के शिष्य हैं और वे गुरु से ऐसा ज्ञान उपलब्ध करते हैं।
12. ‘महाभारत’ के अनुसार चार वेदों और सांख्ययोग के समावेश के कारण यह नारायणीय महापनिषद पांचरात्र कहलाता है।
13. भगवन कृष्णा का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है।
14. भगवन कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे।
15. उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया।
16. ष्णव धर्म के प्रमुख सम्प्र दाय, मत एवं आचार्य- वैष्णकव सम्प्रषदाय के विशिष्टारद्वैत मत के आचार्य रामानुज थे। ब्रह्मा सम्प्रणदाय के द्वैत मत के आचार्य आनंदतीर्थ थे। रुद्र सम्प्र्दाय के शुद्धद्वैत मत के आचार्य वल्ल भाचार्य थे। सनक सम्प्र्दाय के द्वैताद्वैत मत के आचार्य निम्बाथर्क थे।
17. प्रमुख सम्प्र दाय, संस्था पक और पुस्तयक- बरकरी सम्प्र दाय के नामदेव संस्था पक थे। श्रीवैष्णाव सम्प्रञदाय रामानुज संस्थारपक और ब्रह्मासूत्र पुस्ताक था। परमार्थ सम्प्र दाय के रामदास संस्था पक और दासबोध पुस्ताक का नाम था। रामभक्तम सम्प्र दाय के सम्प्र दाय संस्था्पक और अध्या त्मथ रामायण पुस्त क था।
18. वैष्णख तीर्थ इस प्रकार हैं- (i) बद्रीधाम (ii) मथुरा (iii) अयोध्या (iv) तिरुपति बालाजी (v) श्रीनाथ (vi) द्वारकाधीश
19. ऋग्वेद में वैष्णव विचारधारा का उल्लेख मिलता है. वैष्णा ग्रंथ इस प्रकार हैं: (i) ईश्वर संहिता (ii) पाद्मतन्त (iii) विष्णुसंहिता (iv) शतपथ ब्राह्मण (v) ऐतरेय ब्राह्मण (vi) महाभारत (vii) रामायण (viii) विष्णु पुराण
20. वेदों में भगवन कृष्णा के 24 अवता बताएं गए हैं।
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