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UPSC Civil Engineering Syllabus Optional Paper 1 & 2

यूपीएससी मुख्य परीक्षा सिलेबस ऐच्छिक विषय सिविल इंजीनियरी UPSC Civil Engineering Syllabus Optional Paper 1 & 2

UPSC Civil Engineering Syllabus In Hindi

UPSC Civil Engineering Syllabus

UPSC Mains Exam Syllabus Optional Paper

दोस्तों यह Civil Engineering Syllabus का सम्पूर्ण टॉपिक के साथ दीया गया हैl यूपीएससी एग्जाम का तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स इसको एक बार अच्छी तरीके से पढ़ेंl

 

सिविल इंजीनियरी सिलेबस UPSC Civil Engineering Syllabus

सिविल इंजीनियरी ऐच्छिक विषय-1,मार्क्स 250,समय 3 घंटा

सिविल इंजीनियरी ऐच्छिक विषय-2.मार्क्स 250,समय 3 घंटा

 

UPSC Civil Engineering Syllabus Optional Paper 1

  1. इंजीनियरी यांत्रिकी पदार्थ सामर्थ्य तथा संरचनात्मक विश्लेषण

1.1 इंजीनियरी यांत्रिकी:

मात्राक तथा विमाएं, SI मात्राक,सदिश, बल की संकल्पना, कण तथा दृढ़ पिंड संकल्पना, संगामी, असंगामी तथा समतल पर समांतर बल, बल आघूर्ण, मुक्त पिंड आरेख, सप्रतिबंध साम्यावस्था, कल्पित कार्य का सिद्दांत, समतुल्य बल प्रणाली। प्रथम तथा द्वितीय क्षेत्रा आघूर्ण, द्रव्यमान जड़त्व आघूर्ण स्थैतिक घर्षण:

शुद्दगमिकी तथा गतिकी:

कार्तीय निर्देशांक शुद्दगतिकी समान तथा असमान त्वरण के अधीन गति गुरुत्वाधीन गति । कणगतिकी, संवेग तथा ऊर्जा सिद्दांत, प्रत्यास्थ पिंडों का संघट्टन दृढ़ पिंडों का घूर्णन ।

 

1.2 पदार्थसामर्थ्य

सरल प्रतिबल तथा विकृति, प्रत्यास्थ स्थिरांक,अक्षतःभारित संपीडांग अपरूपर्ण बल तथा बंकन आघूर्ण, सरलबंकन का सिद्दांत, अनुप्रस्थ काट का अपरूपण प्रतिबल वितरण, समसामर्थ्य धरण । धरण विक्षेप: मैकाले विधि, मोर की आघूर्ण क्षेत्र विध्,ि अनुरूप धरण विधि, एकांक भार विधि, शापफ्ट की ऐंठन, स्तंभों का प्रत्यास्थ स्थायित्व । आयलर, रेनकाईन तथा सीकेट सूत्र ।

 

1.3 संरचनात्मक विश्लेषण:

कास्टिलियानोस प्रमेय I तथा II, ध्रण और कील संधियुक्त कैंची में प्रयुक्त संगत विकृति की एकांक भार विधि, ढाल विक्षेप, आघूर्ण वितरण ।

बेलन भार और प्रभाग रेखाएँ: धरण के परिच्छेद पर अपरूपण बल तथा बंकन आघूर्ण के लिए प्रभाव रेखाएँं । गतिशील भार प्रणाली द्वारा ध्रण चक्रमण में अधिकतम अपरूपण बल तथा बंकन आघूर्ण हेतु मानदंड। सरल आलंबित समतल कील संधि युक्त केंची हेतु प्रभाव रेखाएँ ।

डाट: त्रिकील, द्विकील तथा आबद्द डाट-पर्शुका लघीयन एवं तापमान प्रभाग । विश्लेषण की आव्यूह विधि: अनिर्धरित धरण तथा दृढ़ ढ़ांचों का बल विधि तथा विस्थापन विधि से विश्लेषण । ध्रण और ढ़ांचों का प्लांस्टिक विश्लेषण: प्लास्टिक बंकन सिद्दांत, प्लास्टिक विश्लेषण, स्थैतिक प्रणाली यांत्रिकी विधि।

असममित बंकन: जड़त्व आघूर्ण, जड़त्व उत्पाद, उदासीन अक्ष और मुख्य की स्थिति, बंकन प्रतिबल की परिगणना ।

 

  1. संरचपस अभिकल्प: इस्पात, कंक्रीट तथा चिनाई संरचना

2.1 संरचनात्मक इस्पात अभिकल्प:

संरचनात्मक इस्पात: सुरक्षा गुणक और भार गुणक । कवचित तथा वेल्डित जोड़ तथा संयोजन । तनाव तथा संपीडांग इकाइयों का अभिकल्प, संघटित परिच्छेद का ध्रण कवचित तथा वेल्डित प्लेट गर्डर, गैंदी गर्डर, बैटन एवं लेसिंगयुक्त स्टेंचियन्स ।

2.2 कंक्रीट तथा चिनाई संरचना का अभिकल्प:

मिश्र अभिकल्प की संकल्पना, प्रबलित कंक्रीट: कार्यकारी प्रतिबल तथा सीमा अवस्था  विधि से अभिकल्प-पुस्तिकाओं की सिपफारिशें, वन-वे एवं टू-वे स्लैब की डिजाइन, सोपान स्लैब, आयताकार T एवं L काट का सरल एवं सतत ध्रण । उत्केन्द्रता सहित अथवा रहित प्रत्यक्ष भार के अंतर्गत संपीडांग इकाइयां। विलगित एवं संयुक्त नीव। केंटीलीवर एवं काउंटर पफोर्ट प्ररूप । प्रतिधरक भित्तिः जलटंकी: पृथ्वी पर रखे आयताकार एवं गोलाकार टंकियों की अभिकल्पन आवश्यकताएं । पूर्व प्रतिबलित कंक्रीटः पूर्व प्रतिबलित के लिए विधियां और प्रणालियां, स्थिरक स्थान, कार्यकारी प्रतिबल आधरित आनति के लिए परिच्छेद का विश्लेषण और अभिकल्प, पूर्व प्रतिबलित हानि।

 

  1. तरल यांत्रिकी, मुक्त वाहिका प्रवाह एवं द्रवचालित मशीनें

3.1 तरल यांत्रिकी:

तरल गुणधर्म तथा तरल गति में उनकी भूमिका, तरल स्थैतिकी जिसमें समतल तथा वक्र सतह पर कार्य करने वाले बल भी शामिल हैं। तरल प्रवाह की शुद्दगतिकी एवं गतिकीः वेग और त्वरण, सरिता रेखाएं, सांतत्य समीकरण, अघूर्णी तथा घूर्णी प्रवाह, वेग विभव एवं सरिता फलन। सांतत्य, संवेग एवं उफर्जा समीकरण, नेवियर स्टोक्स समीकरण, आयलर गति समीकरण, तरल प्रवाह समस्याओं में अनुप्रयोग, पाइप प्रवाह, स्लूइस गेट, वियर ।

3.2 विमीय विश्लेषण एवं समरूपता:

बकिंघम PI-प्रमेय विमारहित प्राचल।

3.3 स्तरीय प्रवाह:

समांतर, अचल एवं चल प्लेटों के बीच स्तरीय प्रवाह, ट्यूब द्वारा प्रवाह।

3.4 परिसीमा परत:

चपटी प्लेट पर स्तरीय एवं विक्षुब्ध परिसीमा परत, स्तरीय उपपरत, मसृण एवं रूक्ष परिसीमाएं, विकर्ष एवं लिफ्ट । पाइपों द्वारा विक्षुब्ध प्रवाहः विक्षुब्ध प्रवाह के अभिलक्षण, वेग वितरण एवं पाइप घर्षण गुणक की विविधता, जलदाब प्रवणता रेखा तथा पूर्ण उर्जा रेखा ।

3.5 मुक्त वहिका प्रवाह:

समान एवं असमान प्रवाह, आघूर्ण एवं ऊर्जा संशुद्दि गुणक, विशिष्ट ऊर्जा तथा विशिष्ट बल, क्रांतिक गहराई, तीव्र परिवर्ती प्रवाह, जलोच्छाल, क्रमशः परिवर्मी प्रवाह, पृष्ठ परिच्छेदिका वर्गीकरण, नियंत्रण काट, परिवर्ती प्रवाह समीकरण के समाकलन की सोपान विधि ।

3.6 द्रवचालित यंत्र तथा जलशक्ति:

द्रवचालित टरबाइन, प्रारूप वर्गीकरण, टर्बाइन चयन, निष्पादन प्राचल, नियंत्राण, अभिलक्षण, विशिष्ट गति । जलशक्ति विकास के सिद्दान्त।

  1. भू-तकनीकी इंजीनियरी

मृदा के प्रकार एवं संरचना, प्रवणता तथा कण आकार वितरण, गाढ़ता सीमाएं । मृदा जल कोशिकीय तथा संरचनात्मक प्रभावी प्रतिबल तथा रंध् जल दाब, प्रयोगशाला निर्धरण, रिसन दाब, बालु पंक अवस्था-कर्तन-सामर्थ्य परीक्षण-मोर कूलांब संकल्पना-मृदा संहनन-प्रयोगशाला एवं क्षेत्रा परीक्षण। संपीड्यता एवं संपिंडन संकल्पना-संपिंडन सिद्दान्त-संपीड्यता स्थिरण विश्लेषण। भूदाब सिद्दान्त एक प्रतिधरक भित्ति के लिए विश्लेषण, चादंरी स्थूणाभित्ति एवं बंधयुक्त खनन के लिए अनुप्रयोग । मृदा धरण क्षमता-विश्लेषण के उपागम-क्षेत्र परीक्षण-स्थिरण विश्लेषण-भूगमन ढाल का स्थायित्व। मृदाओं का अवपृष्ठ खनन-विधियां ।

नींव-संरचना नींव के प्रकार एवं चयन मापदंड-नींव अभिकल्प मापदंड -पाद एवं पाइल प्रतिबल वितरण विश्लेषण, पाइप समूह कार्य-पाइल भार परीक्षण । भूतल सुधार प्रविधियां ।

 

UPSC Civil Engineering Syllabus Optional Paper 2

  1. निर्माण तकनीकी, उपकरण, योजना और प्रबंध्

1.1 निर्माण तकनीकी:

इंजीनियरी सामग्री: निर्माण सामग्री के निर्माण में उनके प्रयोग की दृष्टि से, भौतिक गुणधर्म: पत्थर, ईंट तथा टाइल, चूना, सीमेंट तथा विविध सुरखी मसाला एवं कंक्रीट । लौह सीमेंट के विशिष्ट उपयोग, तंतु प्रबति CC उच्च सामर्थ्य कंक्रीट । इमारती लकड़ी: गुणधर्म एवं दोष, सामान्य संरक्षण, उपचार ।

कम लागत के आवास, जन आवास, उच्च भवनों जैसे विशेष उपयोग हेतु सामग्री उपयोग एवं चयन ।

1.2 निर्माण:

ईंट, पत्थर, ब्लाकों के उपयोग के चिनाई सिद्दांत-निर्माण विस्तारण एवं सामर्थ्य अभिलक्षण ।

प्लास्टर, प्वाईंटिंग, फ्रलांरिंग, रूपिफंग एवं निर्माण अभिलक्षणों के प्रकार ।

भवनों के सामान्य मरम्मत कार्य ।

रहिवासों एवं विशेष उपयोग के लिए भवन की कार्यात्मक योजना के सिद्दांत भवन कोड उपबंध ।

विस्तृत एवं लगभग आकलन के आधरभूत सिद्दांत-विनिर्देश लेखन एवं दर विश्लेषण-स्थावर ।

संपत्ति मूल्यांकन के सिद्दांत ।

मृदाबंध् के लिए मशीनरी, कंक्रीटकरण एवं उनका विशिष्ट उपयोग-उपकरण चयन को प्रभावित करने वाले कारक-उपकरणों की प्रचालन लागत ।

1.3 निर्माण योजना एवं प्रबंध:

निर्माण कार्यकलाप-कार्यक्रम-निर्माण उद्योग का संगठन गुणता आश्वासन सिद्दांत । नेटवर्क के आधरभूत सिद्दांतों का उपयोग CPM एवं PERT के रूप में विश्लेषण:निर्माण माॅनीटरी, लागत इष्टतमीकरण एवं संसाधन नियतन में उनका उपयोग । आर्थिक विश्लेषण एवं विधि के आधरभूत सिद्दांत। परियोजना लाभदायकता-वित्तीय आयोजना के बूट उपागम के आधरभूत सिद्दांत सरल टौल नियतीकरण मानदंड ।

  1. सर्वेक्षण एवं परिवहन इंजीनियरी

2.1 सर्वेक्षण:

CEकार्य की दूरी एवं कोण मापने की सामान्य विधियां एवं उपकरण, प्लेन टेबल में उनका उपयोग, चक्रम सर्वेक्षण समतलन, त्रिकोणन, रूपलेखण एवं रथलाकृतिक मानचित्र, फोटोग्राममिति एवं दूर संवेदन के सामान्य सिद्दांत ।

2.2 रेलवे इंजीनियरी:

स्थायी पथ-अवयव, प्रकार एवं उनके प्रकार्य टर्न एवं क्रांसिंग के प्रकार्य एवं अभिकल्प घटक-ट्रैक के भूमितीय अभिकल्प की आवश्यकता-स्टेशन एवं यार्ड का अभिकल्प ।

2.3 राजमार्ग इंजीनियरी:

राजमार्ग संरखन के सिद्दांत, सड़कों का वर्गीकरण एवं ज्यामितिक अभिकल्प अवयव एवं सड़कों के मानक । नम्य एवं दृढ़ कुट्टिम हेतु कुट्टिम संरचना, कुट्टिम के अभिकल्प सिद्दांत एवं क्रियापद्दति । प्ररूपी निर्माण विधियां एवं स्थायीकृत मृदा, WBM बिटुमेनी निर्माण एवं CC सड़कों के लिए सामग्री । सड़कों के लिए बहिस्तल एवं अधस्तल अपवाह विन्यास-पुलिया संरचनाएं । कुट्टिम विक्षोभ एवं उन्हें उपरिशायी द्वारा मजबूती प्रदान करना । यातायात सर्वेक्षण एवं यातायात आयोजना में उनके अनुप्रयोग-प्रणालित, इंटरसेक्शन एवं घूर्णी आदि के लिए अभिकल्प विशेषताएं-सिगनल अभिकल्प-मानक यातायात चिन्ह एवं अंकन ।

  1. जल विज्ञान, जल संसाधन एवं इंजीनियरी

3.1 जल विज्ञान:

जलीय चक्र, अवक्षेपण, वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन,अंतःस्यदन, अधिभार प्रवाह, जलारेख, बाढ़, आवृत्ति विश्लेषण, जलाशय द्वारा बाढ़ अनुशीलन, वाहिका प्रवाह मार्गभिगमन-मार्गभिगमन-मस्किग्म विधि ।

3.2 भूतल प्रवाह:

विशिष्ट लब्धि, संचयन गुणांक, पारगम्यता गुणांक, अपरिरुद्ध तथा अअपरिरुद्ध जलप्रवाही स्तर, एक्विटार्ड, अपरिरुद्ध तथा अअपरिरुद्ध स्थितियों के अंतर्गत एक कूप के भीतर अरीय प्रवाह ।

3.3 जल संसाधन इंजीनियरी:

भू तथा धरातल जल संसाधन, एकल तथा बहुउद्देशीय परियोजनाएं, जलाशय की संचयन क्षमता, जलाशय हानियाँ, जलाशय अवसादन ।

 

3.4 सिंचाई इंजीनियरी:

(क) फसलों के लिए जल की आवश्यकता: क्षयी उपयोग,कृति तथा डेल्टा, सिंचाई के तरीके तथा उनकी दक्षताएं ।

(ख) नहरें: नहर सिंचाई के लिए आबंटन पद्दति, नहर क्षमता,नहर की हानियाँ, मुख्य तथा वितरिका नहरों का संखन-अत्यधिक दक्ष काट, अस्तरित नहरें, उनके डिजाइन, रिजीम सिद्दांत, क्रांतिक अपरूपण प्रतिबल, तल भार ।

(ग) जल-ग्रस्तता: कारण तथा नियंत्रण, लवणता ।

(घ) नहर संरचना: अभिकल्प, दाबोच्चता नियामक, नहर प्रपात, जलप्रभावी सेतु, अवनलिका एवं नहर विकास का मापन ।

(घ) द्विपरिवर्ती शीर्ष कार्य पारगम्य तथा अपारगम्य नीवों पर बाधिका के सिद्दांत और डिजाइन, खोसला सिद्दांत, ऊर्जा क्षय ।

(च) संचयन कार्य: बांधें की किस्में, डिजाइन, दृढ़ गुरफत्व के सिद्दांत, स्थायित्व विश्लेषण ।

(छ) उत्प्लव मार्ग: उत्प्पलव मार्ग के प्रकार, ऊर्जा क्षय ।

(ज) नदी प्रशिक्षण: नदी प्रशिक्षण के उद्देश्य, नदी प्रशिक्षण की विधियां ।

 

  1. पर्यावरण इंजीनियरी

4.1 जल पूर्ति:

जल मांग की प्रामुक्ति, जल की अशुद्दता तथा उसका महत्व, भौतिक, रासायनिक तथा जीवाणु विज्ञान संबंधी विश्लेषण, जल से होने वाली बीमारियाँ, पेय जल के लिए मानक ।

4.2 जल का अंतग्र्रहण: जल उपचार:

स्कंदन के सिद्दांत, उफर्णन तथा सादन, मंदद्रुत, दाब पिफल्टर, क्लोरीनीकरण, मृदुकरण, स्वाद, गंध् तथा लवणता को दूर करना ।

4.3 वाहित मल व्यवस्था:

घरेलू तथा औद्योगिक अपशिष्ट, झंझावात वाहित मल-पृथक और संयुक्त प्रणालियां, सीवरों द्वारा बहाव, सीवरों का डिजाइन ।

 

4.4 सीवेज लक्षण:

BOD,COD ठोस पदार्थ, विलीन आॅक्सीजन, नाइट्रोजन और TOC, सामान्य जल मार्ग तथा भूमि पर निष्कासन के मानक ।

4.5 सीवेज उपचार:

कार्यकारी नियम, इकाइयाँ, कोष्ठ, अवसादन टैंक,च्वापी पिफल्टर, आक्सीकरण पोखर, उत्पे्ररित अवपंक प्रक्रिया, सैप्टिक टैंक, अवपंक निस्तारण, अवशिष्ट जल का पुनः चालन ।

4.6 ठोस अपशिष्ट:

गांवों और शहरों में संग्रहण एवं विस्तारण, दीर्घकालीन कुप्रभावों का प्रबंध ।

  1. पर्यावरणीय प्रदूषण:

अवलाबत विकास । रेडियोएक्टिव अपशिष्ट एवं निष्कासन, उष्मीय शक्ति संयंत्रों, खानों, नदी घाटी, परियोजनाओं के लिए पर्यावरण संबंधी प्रभाव मूल्यांकन, वायु प्रदूषण, वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनिमय ।

 

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