Skip to content

Makar Sankranti (मकर संक्रान्ति) खिचड़ी

Makar Sankranti (मकर संक्रान्ति)

मकर संक्रांति भारत का प्रमुख पर्व हैl पौष माह में जब सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने की वजह से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैl मकर संक्रांति हरेक साल के 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता हैl इस पर्व को पुरे भारत और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता हैl मकर संक्रांति को अन्य नाम खिचड़ी के अलावे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता हैl इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता हैl

मकर संक्रांति पुरे भारत के अलावा नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी मनाया जाता हैl लेकिन भारत में कई राज्य होने के वजह से इन्हें विभिन्न नामों से जाना जाता हैl छतीसगढ़, गोवा, उड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में मनाया जाता हैl तमिलनाडु में ताइ पोंगल एवं उझवर तिरुनल के नाम से जाना जाता हैl गुजरात और उतराखंड में उत्तरायण; जम्मू में उत्तरैन एवं माघी संगरांद; कश्मीर घाटी में इसे शिशुर सेंक्रात; हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में माघी; असम में भोगाली बिहु; उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी; पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति तथा कर्नाटक में मकर संक्रमण के नाम से जाना जाता हैl

भारत के अलावा मकर संक्रांति बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड, लाओस, म्यामांर, कम्बोडिया, श्री लंका में भी मनाया जाता हैl बांग्लादेश में शकरैन या पौष संक्रांति; नेपाल में माघे संक्रांति या माघी संक्रांति, खिचड़ी संक्रांति; थाईलैंड में सोंगकरन; लाओस में पि मा लाओ; म्यामांर में थिंयान; कम्बोडिया में मोहा संगक्रान और श्री लंका में पोंगल, उझवर तिरुनल के नाम से जाना जाता हैl

मकर संक्रांति का ऐतिहासिक महत्त्व

मकर संक्रांति का ऐतिहासिक महत्त्व है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैl चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी है, अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता हैl इसी दिन गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि का आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थींl इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण, आदि धार्मिक कार्यों का दिशेष महत्त्व हैl ऎसी मान्यता है कि इस दिन दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता हैl

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।

स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान करने से मोक्ष कि प्राप्ति करवाता हैl जैसा कि ऊपर के श्लोक में बताया गया हैl इस दिन गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभ माना गया हैl इस दिन के शुभ अवसर पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में किए गए स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई हैl

मकर संक्रांति राज्य में कैसे मनाई जाती है?

बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता हैl इस दिन खिचड़ी व तिलकुट इत्यादि से बनी चिकी या मिठाइयां खाने के साथ-साथ खिचड़ी व तिल का दान भी किया जाता हैl इसके अलावा इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल इत्यादि भी दान किया जाता हैl

गुजरात में मकर संक्रांति को लोहड़ी या उत्तरायण के नाम से जाना जाता हैl इस दिन के शुभ अवसर पर गुजरात में दिन के समय पतंग उड़ाने की प्रथा हैl यहाँ इस दिन पतंगोत्सव का भी आयोजन किया जाता हैl यहाँ भी दान करने की प्रथा को शुभ माना जाता हैl

पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के नाम से जाना जाता हैl इस दिन यहाँ के लोग तड़के नदी में स्नान करते है और तिल के तेल का दीपक भी जलाया जाता हैl श्री मुक्तसर साहिब में माघी के दिन बड़ा मेले का आयोजन किया जाता हैl मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता हैl

जम्मू में उत्तरैन और माघी संगरांद के नाम से विख्यात पर्व को कुछ लोग उत्रैण, अत्रैण’ अथवा ‘अत्रणी’ के नाम से भी जानते है। यहाँ भी मकर संक्रांति से पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है, जो पौष माह के अंत का प्रतिक हैl पौष माह के ख़त्म होते ही माघ माह के आरंभ होने की वजह से इस पर्व को माघी संगरांद के नाम से जानते हैl डोगरा घरानों के लोग इस दिन माँह की दाल की खिचड़ी का दान (मन्सना) किया जाता हैl उधमपुर की देविका नदी के तट, हीरानगर के धगवाल और जम्मू के अन्य पवित्र स्थल पर जैसे पुरमंडल एवं उत्तरबैन्ही पर मेले का आयोजन किया जाता हैl इस दिन भद्रवाह के वासुकी मंदिर की प्रतिमा को घृत से ढका जाता हैl

उत्तर प्रदेश में इस पर्व को मुख्य रूप से ‘दान’ का पर्व माना जाता हैl इलाहाबाद में गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम पर हरेक साल एक माह का मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे माघ मेले के नाम से जाना जाता हैl इस दिन बागेश्वर में बड़ा मेला लगता हैl इस दिन गंगा स्नान करने बाद तिल के मिष्ठान आदि ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता हैl इसके अलावा इस दिन खिचड़ी खाने के साथ-साथ खिचड़ी दान देने का भी अत्यधिक महत्त्व दिया जाता हैl

महाराष्ट्र में इस पर्व के दिन विवाहित महिलाएं अपनी पहली संक्रांति पर किसी अन्य सुहागिन महिलाओं को दान में कपास, तेल, नमक आदि चीजें देते हैl यहाँ लोग एक-दुसरे को तिल गुड़ देते समय बोलते है- तिल गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलोl

बंगाल में पौष संक्रांति के नाम से जानने वाले पर्व के अवसर पर लोग स्नान के बाद तिल दान करते हैl यहाँ गंगासागर में प्रति वर्ष भव्य मेला का आयोजन होता हैl

तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता हैl इस पर्व को चार दिनों के अन्दर चार नामों से जाना जाता हैl पहला दिन ‘भोगी पोंगल’, इस दिन लोग कूड़ा-करकट को जमा कर जलाया जाता है; दूसरा दिन ‘सूर्य पोंगल’, इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है; तीसरा दिन ‘मट्टू पोंगल’ या ‘केनू पोंगल’ इस दिन लोग पशु धन की पूजा करते है और चौथा दिन ‘कन्या पोंगल’ इस दिन लोग स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाकर, बाद में सूर्यदेव को नैवेद्य चढ़ाकर फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैl इस दिन बेटी और दामाद का विशेष रूप से स्वागत किया जाता हैl

राजस्थान में इस दिन के अवसर पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद प्राप्त कर, किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन एवं संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान करती हैl

असम में ‘माघ बिहु’ के नाम से प्रसिद्ध मकर संक्रांति को लोग बड़ी धूमधाम से मानते हैl इस दिन लोग सुबह जल्दी उठते है और अपने घरों को साफ करने बाद नए कपड़े पहनते हैl यहाँ के लोग इस दिन अपने गाय के उपले और लकड़ियाँ जमा कर आग जलाकर उसमें अपने पुराने कपड़े जलाते हैl बाद में अपने पशुओं, खेतों और धरती माँ की पूजा करते हैंl शाम के समय सभी सदस्य चावल, सब्जी और मीट से कई तरह के पकवान बनाते हैl यहाँ के लोग सबसे प्रिय पिठा बनाते है जैसे- शुगना पिठा, तिल पिठा, तिल-गुड़-नारियल के लड्डू को लारू के नाम से जानते हैl