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विश्व का भूगोल नोट्स ! भूगोल भाग और परिभाषा Geography

विश्व का भूगोल  को जनिएंl 

भूगोल भाग और परिभाषा को बिस्तर से जनिएंl

भूगोल ने आज विज्ञान का दर्जा प्राप्त कर लिया है, जो पृथ्वी तल पर उपस्थित विविध प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूपों की व्याख्या करता है। भूगोल एक समग्र और अन्तर्सम्बंधित क्षेत्रीय अध्ययन है जो स्थानिक संरचना में भूत से भविष्य में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है। इस तरह भूगोल का क्षेत्र विविध विषयों जैसे सैन्य सेवाओं, पर्यावरण प्रबंधन, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, मौसम विज्ञान, नियोजन और विविध सामाजिक विज्ञानों में है। इसके अलावा भूगोलवेत्ता दैनिक जीवन से सम्बंधित घटनाओं जैसे पर्यटन, स्थान परिवर्तन, आवासों तथा स्वास्थ्य सम्बंधी क्रियाकलापों में सहायक हो सकता हैl

विद्वानों ने भूगोल को तीन मुख्य विभाग में बाटा हैंl 

1. गणितीय भूगोल
2. भौतिक भूगोल
3. मानव भूगोल

1. गणितीय भूगोल:- पहले विभाग में पृथ्वी का सौर जगत के अन्यान्य ग्रहों और उपग्रहों आदि से संबंध बताया जाता है और उन सबके साथ उसके सापेक्षिक संबंध का वर्णन किया है। इस विभाग का बहुत कुछ संबंध गणित ज्योतिष से भी है।

2. भौतिक भूगोल:- दूसरे विभाग में पृथ्वी के भौतिक रूप का वर्णन होता है और उससे यह जाना जाता है कि नदी, पहाड़, देश, नगर आदि किसे कहते है और अमुक देश, नगर, नदी या पहाड़ आदि कहाँ हैं। साधारणतः भूगोल से उसके इसी विभाग का अर्थ लिया जाता है।

3. मानव भूगोल:- भूगोल का तीसरा विभाग मानव भूगोल है जिसके अन्तर्गत राजनीतिक भूगोल भी आता है जिसमें की इस बात का विवेचन होता है कि राजनीति, शासन, भाषा, जाति और सभ्यता आदि के विचार से पृथ्वी के कौन विभाग है और उन विभागों का विस्तार और सीमा आदि क्या है।

एक अन्य दृष्टि से भूगोल के दो प्रधान अंग है 1. शृंखलाबद्ध भूगोल और 2. प्रादेशिक भूगोल। पृथ्वी के किसी स्थानविशेष पर शृंखलाबद्ध भूगोल की शाखाओं के समन्वय को केंद्रित करने का प्रतिफल प्रादेशिक भूगोल है। भूगोल एक प्रगतिशील विज्ञान है। प्रत्येक देश में विशेषज्ञ अपने अपने क्षेत्रों का विकास कर रहे हैं। इसकी निम्नलिखित अनेक शाखाएँ तथा उपशाखाएँ हो गई हैl

1. गणितीय भूगोल किसे कहते हैं:- भूगणित भूभौतिकी एवं गणित की वह शाखा है जो उपयुक्त मापन एवं प्रेक्षण के आधार पर पृथ्वी के पृष्ठ पर स्थित बिन्दुओं की सही-सही त्रिबिम-स्थिति निर्धारित करती है। इन्ही मापनों एवं प्रेक्षणों के आधार पर पृथ्वी का आकार एवं आकृति, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र तथा भूपृष्ट के बहुत बड़े क्षेत्रों का क्षेत्रफल आदि निर्धारित किये जाते हैं। इसके साथ ही भूगणित के अन्दर भूगतिकीय घटनाओं जैसे ज्वार-भाटा, ध्रुवीय गति तथा क्रस्टल-गति आदि का भी अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी के आकार तथा परिमाण का और भूपृष्ठ पर संदर्भ बिंदुओं की स्थिति का यथार्थ निर्धारण हेतु खगोलीय प्रेक्षणों की आवश्यकता होती है। इस कार्य में इतनी यथार्थता अपेक्षित है कि ध्रुवों के भ्रमण से उत्पन्न देशांतरों में सूक्ष्म परिवर्तनों पर और समीपवर्ती पहाड़ों के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न ऊर्ध्वाधर रेखा की त्रुटियों पर ध्यान देना पड़ता है। पृथ्वी पर सूर्य और चंद्रमा के ज्वारीय प्रभाओं का भी ज्ञान आवश्यक है और चूँकि सभी थल सर्वेक्षणों में माध्य समुद्रतल आधार सामग्री होता है, इसलिये माहासागरों के प्रमुख ज्वारों का भी अघ्ययन आवश्यक है। भूगणितीय सर्वेक्षण के इन विभिन्न पहलुओं के कारण भूगणित के विस्तृत अध्ययन क्षेत्र में अब पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का, भूमंडल पृष्ठ समाकृति पर इसके प्रभाव का और पृथ्वी पर सूर्य तथा चंद्रमा के गुरुत्वीय क्षेत्रों के प्रभाव का अध्ययन समाविष्ट है।

2. भौतिक भूगोल किसे कहते हैं:- भौतिक भूगोल भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं। यह धरातल पर अलग अलग जगह पायी जाने वाली भौतिक परिघटनाओं के वितरण की व्याख्या व अध्ययन करता है, साथ ही यह भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, जन्तु विज्ञान और रसायनशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कई उपशाखाएँ हैं जो विविध भौतिक परिघटनाओं की विवेचना करती हैं।

3. मानव भूगोल किसे कहते हैं:- भूगोल की प्रमुख शाखा हैं जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। मानव भूगोल की एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहु अनुमोदित परिभाषा है, मानव एवं उसका प्राकृतिक पर्यावरण के साथ समायोजन का अध्ययन। मानव भूगोल में पृथ्वी तल पर मानवीय तथ्यों के स्थानिक वितरणों का अर्थात् विभिन्न प्रदेशों के मानव-वर्गों द्वारा किये गये वातावरण समायोजनों और स्थानिक संगठनों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में मानव-वर्गो और उनके वातावरणों की शक्तियों, प्रभावों तथा प्रतिक्रियाओं के पारस्परिक कार्यात्मक सम्वन्धों का अध्ययन, प्रादेशिक आधार पर किया जाता हैl मानव भूगोल का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यूरोपीय देशों, पूर्ववर्ती सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत के विश्वविद्यालयों में इसके अध्ययन में अधिकाधिक रूचि ली जा रही है। पिछले लगभग 40 वर्षों में मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र का वैज्ञानिक विकास हुआ है और संसार के विभिन्न देशों में वहाँ की जनसंख्या की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उन्नति के लिये संसाधन-योजना में इसके ज्ञान का प्रयोग किया जा रहा है।

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