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भारतीय अर्थव्यवस्था की 500 ईसापूर्व से 2018 तक का हाल

भारतीय अर्थव्यवस्था की 500 ईसापूर्व से 2018 तक का हाल

भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था। आर्थिक इतिहासकार एंगस मैडिसन के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था पहली सदी से लेकर दसवीं सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9%% था ; सन् 1००० में यह 28.9% था ; और सन् 17०० में 24.4% था।

प्राचीन काल एवं मध्यकाल
500 ईसापूर्व:- महाजनपदों द्वारा चाँदी के पंच किए हुए सिक्के ढाले जाते थे। इन सिक्कों ने सघन व्यापार में तथा नगरीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।.
1 ई में:- विश्व अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था का हिसा 52.9% था जो एक कीर्तिमान है।
1000 ई० विश्व अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था का हिसा ३३% था, जो संसार में सबसे अधिक हिस्सा हैl
1500 ई० विश्व अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था का हिसा 24.5% था जो चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। इस काल में विश्व अर्थव्यवस्था में चीन का हिस्सा लगभग 25% था।
1600 ई० भारत की आय 17.5 मिलियन पाउण्ड थी (जनसंख्या लगभग 150 मिलियन) जो सन् 1800 में ब्रिटेन की सम्पूर्ण ट्रेजरी (लगभग 16 मिलियन पाउण्ड) से भी अधिक थीl
1700 ई० भारत की अर्थव्यवस्था, विश्व की सम्पूर्ण आय की 24.4% के बराबर थी जो विश्व में सर्वाधिक थी।
ब्रितानी उपनिवेश काल
ईस्ट इण्डिया कम्पनी
1793 ई० बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त लागू
1806 ई० भारत में पत्र – मुद्रा (पेपर करेंसी) का चलन आरम्भ हुआ।
1820 ई० भारत की अर्थव्यवस्था चीन और यूके के बाद तीसरे स्थान पर आ गई। ब्रिटेन द्वारा भारत के औपनिवेशिक शोष्ण तथा ब्रिटेन में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप यूके अर्थव्यवस्था की दृष्टि से पहली बार यूरोप में भी सबसे आगे पहुँच गया। अब ब्रिटेन की विदेश नीति तथा आर्थिक नीति में भारत को असमान भागीदार के रूप में व्यवहार किया जाना आरम्भ हुआ।
1850 ई० में भारत की सकल घरेलू उत्पाद घटकर 5-10% रह गया। यह चीन के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 अनुमानित था। 1850 तक भारत के 30 प्रतिशत बाजार पर ब्रिटेन के कपास का कब्जा हो गया।

ब्रिटिश राज

1868 ई० दादाभाई नौरोजी द्वारा पहली बार भारत के राष्ट्रीय आय का आकलन।
1870 ई० भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व आय में हिस्सा 9.2% था।
1913 ई० भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व आय में हिस्सा 5.4% था।
1935 ई० भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना
1943 ई० बंगाल में भीषण अकाल

स्वाधीनता के बाद

नेहरू काल
1948 ई० प्रथम औद्योगिक नीति घोषित की गयी।
1949 ई० 1 जनवरी को भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण हुआ। रूपये का अवमूल्यन
1952 ई० विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का हिस्सा 3.8% था।
1956 ई० द्वितीय औद्योगिक नीति की घोषणा
1962 ई० चीन का भारत पर आक्रमण
1965 ई० पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध
1966 ई० रूपए का अवमूल्यन करना पड़ा
1969 ई० राजाओं-नवाबों के प्रिवीयर्स एवं विशेषाधिकार की समाप्ति l शीघ्रता तथा एकदम अप्रत्याशित ढंग से 14 बड़े भारतीय वाणिज्यिक बैंकों के राष्ट्रीयकरण की घोषणा। आज़ादी से लेकर उस समय तक भारत सरकार द्वारा लिए गए आर्थिक निर्णयों में से इस निर्णय को सबसे महत्वपूर्ण निर्णय माना जा सकता है। राष्ट्रीयकरण से बैंकिंग नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ तथा ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी अच्छी पैठ हो गयी।
1971 ई० बंगलादेश मुक्ति ; बहुत से बंगलादेशी शरणार्थी भारत आए।
1973 ई० भारतीय अर्थव्यवस्था 494.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर थी जो विश्व की सकल आय का 3.1% होता है।
1980 ई० 15 अप्रैल 1980 को पुनः 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
1988 ई० अप्रैल 1988 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना
1989 ई० भारतीय पर्यटन वित्त निगम की स्थापना

1991 ई० रूपए का अवमूल्यन किया गया। नरसिंह राव तथा उनके वित्तमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा उदार आर्थिक नीतियाँ शुरू की गईं व डा मनमोहन सिंह ने अपनी नितियो से भारत को आर्थिक मंदी से बचाया।
1996 ई० विनिवेश आयोग की स्थापना
1999 ई० दिसम्बर 1999 में बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) विधेयक पारित हुआ।
2010 ई० भारतीय अर्थव्यवस्था 4.002 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर हो गई जो विश्व की सकल आय का 6.3% है। इस दृष्टि से यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी आय है।
2012 ई० भारतीय अर्थव्यवस्था 4,824.551 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर हो गई। इस दृष्टि से यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आय है।
2013 ई० भारत में एक के बाद एक आर्थिक घोटाले प्रकाश में आये। भारी मन्दी। डॉलर एवं अन्य मुद्राओं के सापेक्ष रूपए का भाव लगातार गिर रहा है। 3 सितंबर 2013 को डॉलर के सापेक्ष रूपए का भाव 67 तक जा पहुंचा। 2012-13 में विकास दर गिरकर 10 वर्षों के न्यूनतम स्तर 5% तक आ गई।
2014 ई० तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- अप्रैल 2014 में जारी वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था परचेजिंग पावर पैरिटी के लिहाज से जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है। बैंक के इंटरनैशनल कंपेरिजन प्रोग्राम (आईसीपी) के 2011 राउंड में अमेरिकी और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया है। इससे पहले 2005 के सर्वेक्षण में भारतीय अर्थव्यवस्था 10वें स्थान पर थी।
2016 ई० नवंबर – 500 व 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण नोट बंदी
2017 ई० 1 जुलाई : वस्तु एवं सेवा कर (भारत) की शुरुआत से संपूर्ण भारत में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था एकसमान हुई। इसके फलस्वरूप कई अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गए।
2018 ई० भारत का 6.5% विकास दर

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